भारतीय राजनीतिक इतिहास में डॉ॰ राममनोहर लोहिया का नाम एक ऐसे समाजवादी
विचारक-चिंतक के रूप में ख्यात है, जिन्होंने एक सर्वथा नवीन समाजवाद को प्रतिष्ठापित
किया। विदेशी साम्यवादियों में कार्ल मार्क्स के समाजवाद को वे एकांगी और भारतीय
गांधीवादी दर्शन को अधूरा मानते थे। उन्होंने गहन चिंतन करके स्वयं का समाजवाद विकसित
किया। इसीलिए वे पूर्व-पश्चिम में दर्शनों की खाई को पाटकर एक पूर्ण प्रजातांत्रिक और
मानवीय समाजवाद की स्थापना करना चाहते थे। वे भारतीय अध्यात्म और पश्चिम के विज्ञान
का समन्वय कर ऐसे मनुष्य को गढ़ना चाहते थे, जिसका विश्व-व्यक्तित्व हो तथा वह सत्यम्,
शिवम् और सुंदरम् के सूक्त वाक्य को साकार कर सके।