'प्रतिज्ञा' - प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। जिसमें प्रेमचंद ने भारतीय नारी के जीवन
की गहराईयों में जाकर उनके हर विषम से विषम परिस्थितयों में घुट-घुट कर जीने के साथ-साथ
भारतीय नारी की विवशताओं और उनकी नियति का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है। एक
विधवा महिला का समाज में दुर्दशा कितनी दर्दनीय और कठिन है यह पाठकों को कहानी
पढ़कर पता चलेगा। 'प्रतिज्ञा' उपन्यास के नायक विधुर अमृतराय है। जिनकी चाहत है की वो
किसी विधवा से शादी कर ले। जिससे किसी नवयौवना का जीवन बर्बाद होने से बच जाए। इस
उपन्यास की नायिका पूर्णा आश्रयहीन विधवा है। जिनका जीना समाज के दरिंदों ने मुश्किल
कर दिया है। प्रेमचंद ने अपने इस उपन्यास में विधवा के जीवन की समस्याओं का खुलकर वर्णन
किया है। साथ ही समाज को नए विकल्प का सुझाव भी दिया है।