महाभारत ऐसा महाकाव्य है जो कि हिन्दू धर्म का आधार है। महाभारत महाकाव्य श्री गणेश
के हाथों से लिखा गया था। इसे वेदव्यास ने बोला था। महाभारत में कौरवों और पांडवो के
बीच राज्य प्राप्ति के लिए युद्ध हुआ था। इस युद्ध में कौरवों की तरफ से गुरु श्री
द्रोणाचार्य ने भाग लिया था। द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा ने भी कौरवों की तरफ से
युद्ध लड़ा था। अश्वत्थामा एक महान योद्धा था। अश्वत्थामा, महाभारत के महान योद्धाओं में
से एक था। जो सर्वश्रेष्ठ धनुर्धारी कहलाता था। लेकिन अश्वत्थामा ने ये गलती की कि
उन्होंने कौरवों का साथ दिया, क्योंकि उनके पिता द्रोणाचार्य ने भी कौरवों का साथ दिया
था। द्रोणाचार्य ने ये सोचकर कौरवों का साथ दिया था कि राज्य से निष्ठा रखते हुए वे
राज्य के खिलाफ लड़ नहीं सकते थे। युद्ध के समय उन्हें किसी भी कौरव या अन्य योद्धा की
जरूरत नहीं थी। द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा ही एक समय पांडवों की सेना पर भारी पड़ रहे
थे। तब भगवान श्री कृष्ण को युत्तिफ़ आई, उन्होंने सोचा कि क्यों न गुरुदेव को बल से नहीं छल
से पराजित किया जाए।