इस पुस्तक की अधिकतर कहानियाँ उस समय लिखी गईं जब मैं जयपुर के एक कॉलेज से हिन्दी और
इंग्लिश लिट्रेचर में बी. ए. करके आया ही था. उस समय जहाँ मैंने हिन्दी लिट्रेचर में चतुरसेन
शास्त्री, जय शंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' तथा मुंशी प्रेम चन्द को पढ़ा था,
वहाँ इंग्लिश लिट्रेचर में रॉबर्ट ब्राउनिंग, जॉन कीट्स, वर्ड्सवर्थ, शेक्सपियर और चार्ल्स
डिक्न्स जैसे लेखकों को पढ़ने का भी अनुभव हुआ. इसलिए मेरी कुछ कहानियों में इनके लेखों के कुछ
प्रसंग प्रस्तुत करने की मुझे प्रेरणा मिली. आशा है आपको भी इन्हें पढ़ना रुचिकर लगेगा.